नमस्कार दोस्तों,
जैसा की आजकल की लाइफ स्टाइल के चलते बड़ी बड़ी बीमारियों ने घर-घर में डेरा बना लिया है, आज लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से पीड़ित है, जिसको देखते हुए हर व्यक्ति जैविक अनाज, फल, सब्जी आदि खाना चाहता है, इसीलिए आज जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट खाद (केंचुआ खाद) का प्रचलन बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। यदि देखा जाये तो आज के समय में वर्मी कम्पोस्ट खाद (केंचुआ खाद) बनाकर बेचना बहुत अच्छा व्यवसाय हो सकता है।
वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए यदि इन बातों का ध्यान रखा जाये तो बहुत ही अच्छी गुणवत्ता की खाद बन कर तैयार होगी-
- यदि वर्मी बेड में लाल चीटियां केंचुओं को खा रही हैं तो चारकोल पाउडर का छिड़काव करना चाहिए।
- केंचुओं के अधिक उत्पादन के लिए वर्मी बेड में केंचुआ छोड़ते समय आधा लीटर मट्ठा या आधा लीटर शीरा को 5 से 10 लीटर हर बेड में छिड़काव करना चाहिए इससे कम्पोस्टिंग और केंचुओं का प्रजनन अधिक तेजी से होता है।
- वर्मी वेडों में ताजे गोबर का उपयोग कभी न करें, इससे केंचुए मर जायेंगे।
- वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए हमेशा 4 से 5 दिन पुराना ठंडा गोबर ही लेना चाहिए।
- यदि गोबर गरम है तो गोबर को दिन में 1 से 2 बार उलट-पलट करें जिससे गोबर जल्दी ठंडा हो सके और वर्मी कम्पोस्ट के लिए उपयोग में लाया जा सके।
- वर्मी वेडों में 30 से 40 प्रतिशत नमी बनाये रखें, ताकि अच्छी खाद तैयार हो सके।
- वर्मी वेडों में कचरे का तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस ही होना चाहिए।
- वर्मी वेडों में सीधा सूर्य का प्रकाश नहीं पड़ना चाहिए, यदि सीधा सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो अपशिष्ट पदार्थों का तापमान बढ़ जाता है और केंचुआ नीचे तली में चले जाते हैं और अक्रियाशील हो जाते हैं।
- केंचुआ खाद तैयार करने के लिए वर्मी बेड में कार्वनिक पदार्थों के साथ-साथ 20 प्रतिशत से अधिक गोबर की मात्रा होनी चाहिए।
- वर्मी बेड बनाने के लिए हमेशा ऊंचे स्थान का चुनाव करना चाहिए।
- केंचुओं के अधिक प्रजनन के लिए बेड का तापमान 24 से 32 डिग्री तापमान अच्छा माना जा सकता है।
- यदि वर्मी बेड में कृषि अवशेष हैं तो उनको तीव्र डीकम्पोजीशन के लिए गाय की गोबर की स्लरी या 50 से 100 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर प्रति वेड की दर से मिलाना चाहिए।
- केंचुओं की अधिक बढ़वार एवं गुणवत्तापूर्ण खाद प्राप्त करने के लिए वर्मी वेडों में हमेशा नमी, अँधेरा, उपयुक्त वायुसंचार एवं नियमित देखभाल करनी चाहिए।
- वर्मी बेड में 35 प्रतिशत से अधिक नमी नहीं होनी चाहिए।
- नमी अधिक होने पर वायुसंचार कम हो जाता है, जिससे केंचुआ ऊपर की सतह पर आजाते हैं।
- केंचुओं को चिड़ियों, चीटियों व दीमक से बचाने के लिए बेड को पुआल या बोरी से ढककर रखें।
- वर्मी बेड में कांच के टुकड़े, पॉलिथीन, प्लास्टिक, कील, पत्थर हों तो अलग कर देना चाहिए।
- खाद को पलटने के लिए खुरपी व किसी धारदार यंत्र का प्रयोग नहीं करना चाहिए, इससे केंचुओं को नुकसान पहुँच सकता है।
- गाजर घास (कांग्रेस घास) को फूल आने से पहले गोबर में मिलाकर खाद बनाने पर बहुत ही अच्छी खाद बनती है।
- केंचुआ खाद में किसी भी प्रकार की कीटनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
दोस्तों यदि आप इन बातों को ध्यान में रखकर (वर्मी कम्पोस्ट खाद) केंचुआ खाद बनाते हैं तो आप बहुत ही अच्छी गुणवत्ता की खाद प्राप्त कर सकते हैं।
धन्यवाद।
जय जवान जय किसान।