नमस्कार दोस्तों,
कृषिटेक में आपका स्वागत है।
दोस्तों आज हम बात कर रहे है एक ऐसी समस्या के बारे में जिससे लगभग हर एक व्यक्ति जिसनें भी कद्दूवर्गीय फसलें जैसे खीरा, तरबूज खरबूज, ककड़ी, तोरई, लौकी आदि आदि फसलें उगाई होंगी सभी को फलों के झड़ने की समस्या और फलों के खराब होने की समस्या का सामना करना पड़ा होगा, तो इसी के बारे में बात करेंगे की हम इस समस्या से कैसे निजात पा सकते है और अपने बगीचे में लगी इन सब्जियों से कैसे अच्छा उत्पादन पा सकते हैं तो चलिए शुरू करते हैं।
तो दोस्तों जैसे की यह समस्या हर एक बगीचे में देखने को मिल जाती है इसका बड़ा कारण है सफ़ेद मक्खी
सफ़ेद मक्खी
सफ़ेद मक्की आमतौर पर सफ़ेद या पीले रंग की एक कीट होती है जो की अक्सर पौधों की पत्तियों के नीचे देखने को मिल जाती है। यह पौधों की पत्तियों और का रस चूस लेती है और फलों के अंदर छेद कर के फलों के अंदर वायरस को फैलाती है जिससे फलों से गाढ़ा द्रव जैसे बहता दिखाई देता है और फल अंदर ही अंदर खराब होकर सड़ जाते हैं। यह मक्खी फलों के अंदर अपने बच्चों को भी जन्म दे देती है जो की फल को अंदर से खाते हुए खराब कर देते हैं।
सफ़ेद मक्खी का प्रकोप सबसे ज्यादा जुलाई से लेकर अक्टूबर माह तक देखने को मिलता है, इसके प्रजनन के लिए बरसात का मौसम काफी अनुकूल रहता है, इसी मौसम में सफ़ेद मक्खी काफी बढवार कर के फसलों को नुक्सान पहुंचाती है।
सफ़ेद मक्खी से बचाव के जैविक तरीके
दोस्तों यदि हम चाहें तो सफ़ेद मक्खी से जैविक तरीकों से भी अपनी सब्जियों एवं फलों का बचाव कर सकते हैं, जिसके लिए निम्न तरीकों को अपना सकते हैं-
- नीम तेल - कद्दुवार्गीय फसलों पर नीम ऑयल का छिडकाव करने से सफ़ेद मक्खी से काफी हद बचाव कर सकते हैं।
- प्याज 02 नग और लगभग 15 कलियाँ लहसुन को उबालकर फसलों पर छिडकाव करने से ही सफ़ेद मक्खी फसलों के पास नहीं आती है
- तुलसी की पत्तियों को एक बोतल में भरकर उसके ढक्कन को खुला छोड़ दें और बोतल को अपनी फसल के पास लटका दें जिस से सफ़ेद मक्खी बोतल के अंदर चली जाती है और बोतल से बाहर नहीं निकल पाती है।
- तुलसी और मिंट के पौधे सफेद मक्खी को न केवल आकर्षित करते हैं, बल्कि उसे दूर भी रखते हैं। इनकी पत्तियों का अर्क सफेद मक्खी के लिए एक प्राकृतिक कीटनाशक का काम करता है
- तंबाकू की पत्तियों को उबालकर घोल तैयार करें और पौधों पर छिड़कें। इसके अलावा, टमाटर के पत्तों का अर्क भी उपयोगी हो सकता है।
कुछ जैविक कीटनाशक जैसे स्पिनोसाड और बेसिलस थुरिंगियेंसिस सफेद मक्खी को नियंत्रित करने में प्रभावी होते हैं। ये कीटनाशक प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होते हैं और मनुष्यों और पालतू जानवरों के लिए सुरक्षित होते हैं। इन जैविक कीटनाशकों को पानी में मिलाकर पौधों पर स्प्रे करें यह कीटों को नियंत्रित करेगा, मानव या पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
नीम का तेल और लेमनग्रास का मिश्रण भी सफेद मक्खी को दूर रखने में प्रभावी है। लेमनग्रास का तेल प्राकृतिक रूप से सफेद मक्खी को आकर्षित नहीं करता और उसे नियंत्रित करता है। नीम तेल और लेमनग्रास के तेल का मिश्रण बनाकर उसे पौधों पर छिड़कें। यह मक्खी को दूर करेगा और पौधों को सुरक्षित रखेगा।
सफ़ेद मक्खी से बचाव के रासायनिक उपचार
- पायरेथ्रिन (Pyrethrin): यह एक प्राकृतिक कीटनाशक है जो सफेद मक्खी के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और उसे मारता है। यह एक त्वरित प्रभाव वाला कीटनाशक है, लेकिन इसका असर सीमित समय के लिए होता है। इसका पत्तियों की निचली सतह पर इसे स्प्रे करें। ध्यान दें कि स्प्रे करते समय पत्तियों के सभी हिस्सों तक पहुंचने के लिए सही तरीके से स्प्रे किया जाए।
- इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid): यह एक प्रभावी नेओनिकोटिनॉयड कीटनाशक है जो सफेद मक्खी के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। यह पौधों के तंतुओं के माध्यम से फैलता है और सफेद मक्खी को प्रभावित करता है।
- मालाथियॉन (Malathion): यह एक सामान्य रासायनिक कीटनाशक है जो सफेद मक्खी सहित कई प्रकार के कीटों के खिलाफ प्रभावी है। यह एक संपर्क कीटनाशक है, जिसका असर सफेद मक्खी पर सीधे स्प्रे करने से होता है।
- थियोमिथोक्साम (Thiomethoxam): यह एक प्रभावी कीटनाशक है जो सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है। यह सिस्टमेटिक कीटनाशक होने के कारण पौधे के माध्यम से सफेद मक्खी को प्रभावित करता है।
- पाराफीन तेल (Paraffin Oil): यह कीटनाशक सफेद मक्खी के अंडों और निम्फों पर असर करता है। यह कीटों की सांस लेने की प्रणाली को प्रभावित करता है और उन्हें मारता है।
- बेसिलस थुरिंगियेंसिस (Bacillus thuringiensis): यह एक माइक्रोबियल कीटनाशक है जो सफेद मक्खी के लार्वा पर प्रभावी होता है। यह कीटनाशक भी रासायनिक नहीं है, लेकिन इसका प्रभाव जीवाणु आधारित होता है।
तो आप इन तरीकों को अपनाकर सफ़ेद मक्खी से अपनी कद्दुवार्गीय फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं और फलों को सफ़ेद मक्खी से बचा सकते हैं।
धन्यवाद्
जय जवान जय किसान