नमस्कार दोस्तों कृषि टेक में आपका स्वागत है। दोस्तों आज हम बात कर रहे है फसलों के लिए बहुत ही आवश्यक नीला थोथा के बारे में।
जैसा कि कॉपर सल्फेट को हम सभी नीला थोथा के नाम से जानते हैं। नीला थोथा बहुत ही शक्तिशाली फंगीसाईड और बैक्टीरिया साइड है यदि हम किसी भी सफल में नीला थोथा का उपयोग करते हैं तो उस फसल में 25 से 30 दिन तक किसी भी फंगस का असर नहीं होता है।
नीला थोथा (कॉपर सल्फेट) एक रासायनिक योगिक होता है जो कि नीला क्रिस्टल के रूप में पाया जाता है। पानी में घोलकर नीला थोथा का उपयोग किया जाता है। कहीं पर इसे तूतिया के नाम से भी जानते हैं। तो चलिए हम इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
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नीला थोथा क्या है?
नीला थोथा एक रासायनिक यौगिक है, जो तांबे (Copper) और सल्फेट (Sulfate) से बना होता है। यह नीले रंग का क्रिस्टलीय पदार्थ है और पानी में आसानी से घुल जाता है। खेती में इसे मुख्य रूप से फफूंदनाशक (Fungicide), सूक्ष्म पोषक तत्व और कीटनाशक के रूप में उपयोग किया जाता है।
खेती में नीला थोथा के उपयोग
1. फफूंदनाशक (Fungicide):
नीला थोथा फफूंद जनित रोगों को नियंत्रित करने में मदद करता है।
यह बीज, मिट्टी और पौधों की सतह पर मौजूद फफूंद को नष्ट करता है।
उदाहरण: आलू और टमाटर में लेट ब्लाइट, अंगूर में डाउनी मिल्ड्यू आदि।
बोर्डो मिश्रण (Bordeaux Mixture):
इसे नीला थोथा और बुझा हुआ चूना (Lime) को मिलाकर तैयार किया जाता है।
यह एक प्रभावी फफूंदनाशक है, जो पौधों को लंबे समय तक रोगों से बचाता है।
बनाने का तरीका: 1% बोर्डो मिश्रण के लिए 1 किलो नीला थोथा, 1 किलो बुझा हुआ चूना, और 100 लीटर पानी मिलाएं।
2. पोषक तत्व के रूप में:
नीला थोथा मिट्टी में तांबे की कमी को पूरा करता है।
तांबा पौधों के लिए एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो एंजाइम गतिविधियों और क्लोरोफिल उत्पादन में मदद करता है।
तांबे की कमी से पौधों में पत्तियों का पीला पड़ना और विकास में रुकावट हो सकती है।
3. बीज शोधन (Seed Treatment):
बीजों को रोगमुक्त बनाने के लिए नीला थोथा के घोल का उपयोग किया जाता है।
सामान्यतः 0.25-0.50% घोल (2.5-5 ग्राम नीला थोथा प्रति लीटर पानी) में बीजों को भिगोया जाता है।
4. कीटनाशक (Insecticide):
नीला थोथा कुछ कीटों और मिट्टी के हानिकारक जीवों को नियंत्रित करने में भी सहायक है।
नीला थोथा का उपयोग कैसे करें
1. पत्तियों पर छिड़काव (Foliar Spray):
पौधों पर फफूंद रोगों के उपचार के लिए नीला थोथा का छिड़काव किया जाता है।
0.5-1% घोल तैयार करके छिड़काव करें।
2. मिट्टी में उपयोग:
तांबे की कमी वाली मिट्टी में इसे सीधे मिलाया जा सकता है।
10-20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से इसका उपयोग करें।
3. बोर्डो पेस्ट:
तने और शाखाओं पर फफूंद रोगों से बचाने के लिए इसका पेस्ट तैयार कर लगाया जाता है।
10% बोर्डो पेस्ट (100 ग्राम नीला थोथा + 100 ग्राम चूना + 1 लीटर पानी) का उपयोग करें।
4. पानी में घोलकर छिड़काव:
इसे पानी में घोलकर पौधों पर छिड़का जाता है। यह फफूंद को नष्ट करने और पत्तियों पर सुरक्षात्मक परत बनाने में मदद करता है।
नीला थोथा के उपयोग के फायदे
फफूंद जनित रोगों की रोकथाम।
मिट्टी में तांबे की कमी को दूर करना।
बीजों की अंकुरण क्षमता में वृद्धि।
पत्तियों की हरीतिमा बनाए रखना और पौधों के विकास में सुधार।
उत्पादन में वृद्धि और गुणवत्ता में सुधार।
सावधानियाँ
सही मात्रा का उपयोग:
अधिक मात्रा में उपयोग से पौधों और मिट्टी को नुकसान हो सकता है। हमेशा अनुशंसित मात्रा का ही उपयोग करें।
सुरक्षा उपकरण का उपयोग:
नीला थोथा त्वचा और आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसे संभालते समय दस्ताने और मास्क पहनें।
मिश्रण में सावधानी:
बोर्डो मिश्रण बनाते समय सही अनुपात का ध्यान रखें। गलत अनुपात से पौधे झुलस सकते हैं।
भंडारण:
इसे सूखी और ठंडी जगह पर रखें। इसे बच्चों और जानवरों की पहुंच से दूर रखें।
किन फसलों में नीला थोथा का उपयोग किया जा सकता है?
आलू, टमाटर, अंगूर, सेब, आम, गेहूं, धान, कपास और सब्जियों की खेती में इसका उपयोग किया जा सकता है।
निष्कर्ष
नीला थोथा खेती में एक प्रभावी और बहुउपयोगी रसायन है। यह पौधों को पोषण प्रदान करने, रोगों से बचाने और उत्पादन बढ़ाने में सहायक है।